SGB Vs Digital Gold: सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड या डिजिटल गोल्ड, कहां होगा ज्यादा प्रॉफिट? जानें इनके बीच का अंतर और फायदे
आप सोने में निवेश के लिहाज से ज्वैलरी खरीदते हैं तो अब की बार SGB या Digital Gold में निवेश करें. ये फिजिकल गोल्ड की तुलना में बेहतर विकल्प हैं और दोनों के अलग-अलग फायदे हैं. यहां जानिए इनके बारे में.
अगर आप निवेश के लिहाज से सोना खरीदना चाहते हैं तो SGB यानी Sovereign Gold Bond या Digital Gold में निवेश कर सकते हैं. दोनों में निवेश करने के अपने फायदे हैं. लेकिन इन दोनों में एक बात समान है और वो ये कि आपको सोने की शुद्धता को लेकर किसी तरह की समस्या नहीं आएगी. साथ ही लंबे समय में रिटर्न भी सोने के भाव के हिसाब से मिलेगा. यहां जानिए SGB या Digital Gold में क्या फर्क है और इसमें कैसे निवेश कर सकते हैं-
डिजिटल गोल्ड
डिजिटल गोल्ड आपके पास फिजिकली न होकर आपके डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है. समय के साथ इसकी कीमत भी बढ़ती जाती है. जरूरत पड़ने पर आप इस सोने को ऑनलाइन बेच भी सकते हैं. इसमें सिर्फ 1 रुपए से भी निवेश किया जा सकता है. भारत में MMTC-PAMP India Pvt. Ltd, Augmont Gold Ltd जैसी कंपनियां डिजिटल गोल्ड ऑफर करती हैं. इसके अलावा गूगल पे (Google Pay) और फोनपे (PhonePe) जैसे पॉपुलर ऐप्स के जरिए भी डिजिटल गोल्ड खरीद सकते हैं.
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड एक सरकारी बॉन्ड होता है. इसे आरबीआई जारी करता है. इसमें निवेश से जोखिम की गुंजाइश बेहद कम होती है. ये बॉन्ड 1 ग्राम सोने का होता है, यानी 1 ग्राम सोने की जो कीमत होती है, वही बॉन्ड की कीमत होगी. सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड के जरिए आप 24 कैरेट के 99.9% शुद्ध सोने में निवेश कर सकते हैं. इसमें आपको डबल मुनाफा मिलता है. एक तो मैच्योरिटी के समय निवेशक को मार्केट रेट के हिसाब से पैसा मिलता है और दूसरा इसमें सब्सक्राइबर्स को 2.5 फीसदी का सालाना ब्याज भी ऑफर किया जाता है. आरबीआई से एक वित्तीय वर्ष में अलग-अलग चरणों में जारी करता है. इस बीच आप SGB में निवेश कर सकते हैं.
डिजिटल गोल्ड Vs सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड
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- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में 5 साल का लॉक-इन पीरियड होता है. 5 साल पूरा होने के बाद वह प्री-मैच्योर रिडम्पशन करा सकता है. वैसे यह गोल्ड बॉन्ड 8 साल में मैच्योर होता है. डिजिटल गोल्ड में कोई लॉक-इन पीरियड नहीं होता. डिजिटल गोल्ड को 24/7 ऑनलाइन खरीदा/बेचा जा सकता है.
- डिजिटल गोल्ड को फिजिकल गोल्ड में कन्वर्ट करने का भी ऑप्शन होता है. लेकिन सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में आपको ये विकल्प नहीं मिलता.
- SGB में आपको आरबीआई की गारंटी मिलती है, जबकि डिजिटल गोल्ड किसी भी रेगुलेटर द्वारा मॉनिटर नहीं होता. हालांकि डिजिटल गोल्ड इंश्योर्ड और सेक्योर्ड वॉल्ट्स में सेलर की ओर से स्टोर किया जाता है. इसके लिए कस्टमर को कोई चार्ज नहीं देना होता है.
- सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड में अगर आप पैसा लगाना चाहते हैं तो आपको कम से कम 1 ग्राम गोल्ड खरीदना होगा. जबकि डिजिटल गोल्ड को सिर्फ 1 रुपए से भी खरीदा जा सकता है. मतलब निवेश के लिए आपको बहुत ज्यादा बड़ी रकम की जरूरत नहीं.
- डिजिटल गोल्ड और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड दोनों पर आप लोन ले सकते हैं.
- सॉवरेन गोल्ड की कीमत भी 24 कैरेट के गोल्ड के समान ही होती है. वहीं इस पर 2.5 प्रतिशत का सालाना ब्याज आपके मुनाफे को बढ़ा देता है. डिजिटल गोल्ड में इस तरह का कोई अतिरिक्त ब्याज नहीं मिलता.
08:18 AM IST